सोमवार, 20 जुलाई 2009

मैं कौन हूँ !!


मैं कौन हूँ !! सभी इस विषय पर चर्चा कर चुके हैं | वेद पुराण गीता कुरान बाइबल सभी में आत्मा की पुष्टि होती है | पर आत्मा क्या है कैसे शरीर में रहती है ? आदि आदि प्रश्नों का उत्तर ब्रह्माकुमारी में द्बारा जिस विधि से दिया गया वो बताना चाहता हूँ ! प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय का मूल मंत्र है की "मैं एक आत्मा हूँ" | अब ज़रा प्रकाश डाला जाये | कहने का तात्पर्य है की हम जो आँखों से देखते हैं, मुह से बोलते हैं, कानो से सुनते है, और समस्त इन्द्रियों द्बारा जो भी भान होता है, वो आत्मा को होता है | मैं आत्मा मस्तिष्क में वास करती हूँ | और मस्तिष्क ही एक ऐसी जगह है जहां शरीर के सारे कण्ट्रोल मौजूद हैं | वहीँ से सञ्चालन करती हूँ अपने शरीर को | अब आत्मा का स्वरुप क्या है ? B.K के अनुसार आत्मा ज्योति स्वरुप है, जो सुक्ष्माती सूक्ष्म है, एक केश के शिरे का हजारवा हिस्सा, जो अंडाकार है| आत्मा अजर अमर अविनाशी है | अर्थात हम आज भी है, कल भी थे और कल भी रहेंगे | अब आप योगाशन कीजिये अपने आपको आत्मा समझाने का प्रयास कीजिये | क्रमश:

1 टिप्पणी:

  1. डॉ शैलेन्द्र मोहन जैन7 फ़रवरी 2017 को 3:55 pm बजे

    मैं कौन हूं
    अमर आत्मा का अपने आप से किया जाने वाला अमर प्रश्न।
    अति सूक्ष्म ज्योति बिंदु के रूप में खुद को अहसास करना बहुत मुश्किल जरूर है पर असंभव नहीं और अमर आत्मा का दूसरा कोई अमर रूप हो ही नहीं सकता। सभी अमर चीजें सूक्ष्म कणों के समान ही हैं। ओमशांति

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