रविवार, 10 जनवरी 2010

हम परमात्मा को गाली देते हैं!!!

परमात्मा यानी सर्व आत्माओं में परम | जिनको हम कहते है की ये हर जगह और हर जीव में विद्यमान है ! सूअर कुत्ते बिल्ली गाय गधे में सब जगह मौजूद है ! एक दुष्ट आदमी में और एक क्रूर आदमी में भी परमात्मा मौजूद है ! दरअसल ये कहना परमात्मा को सबसे बड़ी गाली देना है ! परमात्मा सर्वव्यापी नहीं है ! अगर एक क्रूर आदमी के अन्दर परमात्मा है तो वो क्यों क्रूर होता है ?क्या परमात्मा के गुणों में क्रूरता का भी एक गुण है? एक व्यक्ति जो किसी को बेवजह मौत के घाट उतारता है या जघन्य अपराध करता है, तो उसके अन्दर विद्यमान परमात्मा कहाँ सोता है ? परमात्मा के गुण कहाँ रहते हैं! जैसे अगर एक इत्र की शीशी खुली छोड़ दी जाए तो उसकी खुशबु से पता चलेगा की इत्र की खुशबु है ! ठीक वैसे ही परमत्मा के गुण हैं शांति, दया, प्रेम, करुना, ज्ञान,अगर क्रूर व्यक्ति में परमात्मा का वास है तो वो गुण क्यों नहीं ! परमात्मा अगर सबमे विद्यमान है तो अवतरित होने की क्या आवश्यकता है जबकि सबमे पहले से मोजूद हैं? अवतार लेना अर्थात दूसरी जगह से आना, दूसरी जगह से आना अर्थात यहाँ ना होना !
हम परमात्मा की संतान हैं उस नाते उनके गुण हमारे अन्दर हो सकते हैं पर परमात्मा नहीं !शाश्त्रों में हैं "आत्मा सो परमात्मा" जिसका हमने गलत अर्थ लगाया की आत्मा ही परमात्मा है| यहाँ पर आत्मा और परमात्मा के रूप की बात कही गयी है "आत्मा सो परमात्मा" का तात्पर्य है जैसा रूप और आकर आत्मा का है वैसा ही रूप और आकार परमात्मा का है ! अत: परमात्मा को सर्व व्यापी कहना अर्थात गाली देना है!
ललित शर्मा जी ने शुभकामनाएं भेजी हैं.

6 टिप्‍पणियां:

  1. vatvriksh per aapki rachna aamantrit hai rasprabha@gmail.com per parichay tasweer blog link ke saath ...tarkik satya

    जवाब देंहटाएं
  2. एक व्यक्ति जो किसी को बेवजह मौत के घाट उतारता है या जघन्य अपराध करता है, तो उसके अन्दर विद्यमान परमात्मा कहाँ सोता है ? परमात्मा के गुण कहाँ रहते हैं! जैसे अगर एक इत्र की शीशी खुली छोड़ दी जाए तो उसकी खुशबु से पता चलेगा की इत्र की खुशबु है ! ठीक वैसे ही परमत्मा के गुण हैं शांति, दया, प्रेम, करुना, ज्ञान,अगर क्रूर व्यक्ति में परमात्मा का वास है तो वो गुण क्यों नहीं !

    aap hi ke udaharan se thoda kuch kehna chahta hun, yadi itar ki sheeshi band ho to uski khushboo ke gun ka pata kaise chalega ?? nisandeh yadi sheeshi band hogi to khushboo ka pata nahi chal sakta .. isi tarah jab tak manushaya agyaan rupi sheeshi mein band hai tab tak parmaatma ke gun usme nahi nazar aayeinge.. haan jab agyaan hat jaayega or gyaan rupi sheeshi khulegi to hi parmaatma ke gun nazar aayeinge.. fir wo koi bhi bura karm nahi karega.. kyunki jise gyaan ho gaya wo to parmaatma ke saath ek roop ho gaya ...bure karm to insaan ka agyaan karwaata hai.. or jise gyaan ho gaya.. jise aatma ka gyaan ho gaya.. aatma ke gyaan ka matlab hai Aatam Gyan.. or jise aatam gyan yaani khud ka gyan ho gaya use satya ka gyan ho jaayega..kahaaniyon mein ulajhna nahi balki unka saar dekhne ki koshish kijiye...

    मेरी नयी पोस्ट पर आपका स्वागत है : Blind Devotion - सम्पूर्ण प्रेम...(Complete Love)

    जवाब देंहटाएं
  3. सहमत !यही सीख है ब्र्ह्माकुमारीज़ की .

    जवाब देंहटाएं

Some Photos from Prajapita Brahma Kumaries